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व्यवस्थापक की कलम से
हिंदी विद्यापीठ , देवघर ( झारखण्ड ) स्वतंत्रता आन्दोलन के संघर्ष की उपज है । आज से आठ दशक पूर्व १९२९ में इस संस्था का शुभारंभ हुआ । जब सम्पूर्ण देश के नर - नारी देश की स्वतंत्रता के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के मार्ग - दर्शन में मर - मिट रहे थे , उस समय उनकी प्रेरणा से लोग
`हिंदी अपनाओ , अंग्रेजी का बहिष्कार करो' का नारा दे रहे थे । उस समय इस पुण्य भूमि में हिंदी विद्यापीठ , देवघर की नींव डाली जा रही थी । यहाँ के प्रबुद्ध नागरिकों एवं स्वतंत्रता सेनानियों के सत्प्रयास से शिक्षा का यह पवित्र भवन स्थापित हो रहा था जिसमें पंडित विनोदानंद झा , पंडित शिवराम झा , रामेश्वर लाल सर्राफ , पंo महेश्वर प्रo झा , श्री मदन लाल कायाँ आदि का नाम उल्लेखनीय है ।
आज यह हिंदी के उत्थान का केंद्र है । आज संस्था आकार - प्रकार , भूमि , भवन तथा विभिन्न संसाधनों से परिपूर्ण है । मेरे कार्यकाल में इस संस्था को व्यावहारिक आयाम प्राप्त हुआ । यह संस्था उत्तर और दक्षिण के बीच सेतु के रूप में विद्यमान है । यह अखिल भारतीय हिंदी संस्था संघ , नयी दिल्ली से संबद्ध हिंदी सेवी संस्थाओं में अग्रगण्य है । संस्था २०१२ में " अमृत महोत्सव " समारोह का आयोजन कर चुकी है । इस महोत्सव के समय हिंदी विद्यापीठ , देवघर के आदि कुलाधिपति देशरत्न डॉo राजेंद्र प्रसाद जी की आवक्ष प्रतिमा का अनावरण हुआ । " अमृत महोत्सव " वर्ष के अवसर पर हिंदी विद्यापीठ पत्रिका का विशेषांक ` हीरक जयन्ती अंक ' का विमोचन किया गया । इस अवसर पर महामहिम राज्यपाल झारखण्ड एवं महामहिम राज्यपाल नागालैंड की गरिमामयी उपस्थिति से संस्था गौरवान्वित हुई ।
हिंदी विद्यापीठ , देवघर हिंदी के प्रचार - प्रसार में कार्यरत एक प्रसिद्ध स्वयं - सेवी संस्था है जिसमें पूर्वांचल की छात्र - छात्राएँ अध्ययन करती हैं । यहाँ से उपाधि प्राप्त कर ये अपने - अपने प्रांतों में जाकर हिंदी की सेवा करती हैं । सम्प्रति हिंदी विद्यापीठ शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय की परिकल्पना को व्यावहारिक रूप दे रही है । भावी कार्यक्रमों में पत्रकारिता महाविद्यालय की स्थापना तथा अन्य बहुआयामी संस्थानों को भी प्रारंभ करने के लिए यह यत्नशील है ।
आशा है विश्वस्तर पर शिक्षा में हो रहे परिवर्त्तन का हम अनुचिंतन कर रहे हैं और हिंदी विद्यापीठ , देवघर को भी परिवर्त्तन के साथ ताल - मेल बैठाने की कोशिश कर रहे हैं । मुझे पूर्ण विश्वास है कि हिंदी विद्यापीठ , देवघर सामयिक शिक्षा व्यवस्था के साथ गौरव के शिखर पर आरूढ़ हो सकेगी ।

